रमा एकादशी के दिन क्यों करते हैं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा,जानें पूजा का पूरा विधि विधान एकादशी ।।रमा एकादशी की कथा!! रमा एकादशी का व्रत कैसे करें

Rama Ekadashi 2022: कथा के बिना पूर्ण नहीं होता रमा एकादशी का व्रत, पढ़ने सुनने से नष्ट होते हैं सभी पाप


रमा एकादशी के दिन क्यों करते हैं भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा,जानें पूजा का पूरा विधि विधान

Rama Ekadashi 2022 : दिवाली से पहले रमा एकादशी व्रत आज ,जानें व्रत कथा, पूजा विधि, शुभ मुहूर्त और महत्व

रमा एकादशी 

यह व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष एकादशी को किया जाता है। इस दिन भगवान केशव का सम्पूर्ण वस्तुओं से पूजन, नैवेद्य तथा आरती कर प्रसाद वितरित करके ब्राह्मणों को खिलायें तथा दक्षिणा बाँटें। जो मनुष्य इस एकादशी के व्रत को करते हैं उनके समस्त ब्रह्महत्या आदि के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा अंत में विष्णु लोक को जाते हैं।

रमा एकादशी ।।रमा एकादशी की कथा!! रमा एकादशी का व्रत कैसे करें 

रमा एकादशी की कथा

एक समय मुचकुन्द नाम का दानी, धर्मात्मा राजा राज्य करता था। उसे'एकादशी' व्रत का पूरा विश्वास था, इससे वह प्रत्येक एकादशी को व्रत करता तथा राज्य की प्रजा पर भी यही नियम लागू करता था। उसके चंद्रभागा नामक एक कन्या थी। वह भी पिता से अधिक इस व्रत पर विश्वास करती थी। उसका विवाह राजा चन्द्रसेन के पुत्र शोभन के साथ हुआ, जो मुचकुन्द के साथ ही रहता था। एकादशी के दिन सभी व्यक्तियों ने व्रत किये। शोभन ने भी व्रत किया किन्तु अत्यंत कमजोर होने राजा से भूख से व्याकुल हो मृत्यु को अत्यन्त दुःखी हुए। शोभन को व्रत के प्रभाव से मन्दराचल पर्वत पर प्राप्त हो गया। इससे राजा-रानी और पुत्री वहाँ उसकी सेवा में रम्भादि अप्सराएँ तत्पर थीं। अचानक एक दिन राजा धनधान्य से युक्त एवं शत्रुओं से रहित एक उत्तम देवनगर में आवास मिला।मुचकुन्द मन्दराचल पर टहलते हुए पहुँचा तो वहाँ पर अपने दामाद को देखा और घर आकर सब वृतान्त पुत्री से बताया। पुत्री भी समाचार पाकर पति के पास चली गई तथा दोनों सुख से ही पर्वत पर रम्भादिक अप्सराओं से सेवित निवास करने लगीं!!

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